गणेश चतुर्थी का पहला दिन: उत्सव की शुरुआत 

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गणेश चतुर्थी का दूसरा दिन: भक्ति और उत्सव की नई शुरुआत 
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गणेश चतुर्थी, जिसे भगवान गणेश का जन्मदिन माना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है यह त्योहार खासतौर पर महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी इसकी धूम देखने को मिलती है गणेश चतुर्थी का पहला दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यही दिन भगवान गणेश की स्थापना का होता है 

 

घर की तैयारी 

गणेश चतुर्थी के पहले दिन की सुबह घर के सभी लोग सफाई और सजावट में जुट जाते हैं घर के हर कोने को सजाने के लिए रंग-बिरंगे फूल, गुब्बारे और रिबन का इस्तेमाल किया जाता है मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर भी खास सजावट की जाती है, जिससे वातावरण भव्य और उत्साहपूर्ण हो जाता है 

 

मूर्ति की स्थापना 

इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना भक्त श्रद्धा से घर के सबसे पवित्र स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा को रखते हैं और उसे फूल, रंगीन लाइट्स और अन्य सजावटी सामान से सजाते हैं स्थापना के बाद, गणेश मंत्रों का जाप किया जाता है और उन्हें मोदक, फल, फूल और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं 

 

पूजा और भजन 

पूजा के बाद, घर में भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है परिवार के सभी सदस्य मिलकर गणेश जी की आरती करते हैं और भक्ति में लीन हो जाते हैं इस समय का माहौल बहुत ही श्रद्धापूर्ण और उल्लासित होता है इस अवसर पर लोग मिलकर नृत्य और गान करते हैं, जिससे खुशी का माहौल और भी बढ़ जाता है 

निष्कर्ष 

गणेश चतुर्थी का पहला दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें हर कोई अपने घर और समाज में खुशहाली और समृद्धि की कामना करता है यह दिन सिर्फ पूजा और उत्सव का नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भक्ति के प्रति समर्पण का भी होता है इस प्रकार, गणेश चतुर्थी का पहला दिन पूरे 10 दिनों के उत्सव की शुरुआत करता है, जो आनंद, भक्ति और समर्पण से भरा होता है