भगवान शांतिनाथ: जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर
October 4, 2024नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से दूसरा रूप हैं, और उनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप:
मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। वे तपस्या की देवी मानी जाती हैं और उनके नाम का अर्थ है 'ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली'। उनका यह रूप संयम, साधना और त्याग का प्रतीक है।
पूजा विधि:
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सफेद फूल, धूप, दीपक और मिष्ठान अर्पित किया जाता है। उन्हें शुद्ध मन से पूजा करके भक्त उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में धैर्य, शक्ति, और संयम की प्राप्ति होती है।
महत्व:
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मनुष्य में धैर्य और संकल्प शक्ति का विकास होता है। यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में कठिन तप और साधना का पालन करना चाहते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति हर विपत्ति का सामना कर सकता है और जीवन में आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
इस दिन मां ब्रह्मचारिणी का स्मरण करके जीवन में संकल्प और संयम के मार्ग पर चलने का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।