पार्श्वानाथ पर्व: उत्तम क्षमा (पहला दिन)

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पार्श्वानाथ पर्व, हम जिसे पर्युषण पर्व के नाम से जानते हैं, जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व साल में एक बार विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। पर्व की शुरुआत बाध्र  शुक्ला की पंचमी से होती है और यह दस दिनों तक चलता है। इन दस दिनों में पहला दिन खास महत्व रखता है, जो धर्मिक अनुयायियों के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक होता है। 

 

 दिन की विशेषताएँ 

1. स्वास्थ्य और आत्मा की शुद्धि: पहले दिन पर लोग खासतौर पर अपने आहार में संयम बरतते हैं और जीवन को साधारण बनाने का संकल्प लेते हैं। यह दिन आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए समर्पित होता है।

 

2. प्रार्थना और ध्यान: पहले दिन जैन मंदिरों में विशेष पूजा और ध्यान के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी विशेष रूप से पार्श्वनाथ भगवान की पूजा करते हैं, जिससे आत्मा को शांति और संतोष मिलता है।

 

3. धार्मिक अनुष्ठान: पहले दिन को लेकर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। मंदिरों में आयोजित विशेष पूजा-अर्चना और प्रवचन भक्तों को धर्म के प्रति जागरूक करने और आत्मा की शुद्धता की ओर प्रेरित करने का उद्देश्य रखते हैं।

 

4. सामाजिक और धार्मिक योगदान: इस दिन को लेकर जैन समाज के लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं। दान और पुण्य के कार्य इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को निभाने का अवसर प्रदान करते हैं।

 

निष्कर्ष 

पार्श्वानाथ पर्व का पहला दिन एक नई शुरुआत का संकेत होता है, जिसमें आत्मा की उन्नति, शुद्धता और शांति की दिशा में कदम बढ़ाने का संदेश छिपा होता है। यह पर्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से हमें अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है और जीवन को सुधारने का प्रेरणास्त्रोत बनता है।