पर्युषण पर्व का दूसरा दिन- उत्तम मार्दव 

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पर्युषण पर्व जैन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जो आत्मशुद्धि  के लिए समर्पित होता है इस पर्व के दूसरे दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन हमें अपने अंदर झांकने और अपने कर्मों का मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है दूसरे दिन का मुख्य उद्देश्य होता है आत्मनिरीक्षण करना, ताकि हम अपने पिछले कर्मों की समीक्षा कर सकें और उन्हें सुधारने के लिए ठोस कदम उठा सकें 

 

यह दिन आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता का प्रतीक है जैन धर्म में माना जाता है कि जब हम अपने अंदर की नकारात्मकता और बुराइयों को पहचान लेते हैं, तब ही हम उन्हें दूर करने का प्रयास कर सकते हैं इस दिन जैन अनुयायी उपवास और प्रार्थना के माध्यम से अपने विचारों और कर्मों को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं यह केवल बाहरी शुद्धि का दिन नहीं है, बल्कि आंतरिक शुद्धि का भी है, जो हमें एक नए जीवन की ओर ले जाता है 

 

दूसरे दिन अनुयायी विशेष रूप से अपने जीवन में अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह जैसे जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लेते हैं यह दिन हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने मन, वचन और कर्म में शुद्धता लाकर जीवन को सरल और सहज बना सकते हैं  

 

ध्यान, प्रार्थना और आत्मनिरीक्षण का यह दिन हमें हमारे भीतर की कमजोरी और नकारात्मकता से लड़ने की शक्ति देता है यह दिन केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि कैसे हम अपने व्यक्तिगत जीवन में भी शुद्धता और संयम का पालन कर सकते हैं